पश्चिम बंगाल की सत्ता में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) की वापसी के महीनेभर बाद हिंसा की कई खौफनाक तस्वीरें सामने आ रही है। रेप, यौन प्रताड़ना और पुलिस की उदासीनता से बंगाल की महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया है। सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं पर गैंगरेप के आरोप लगाते हुए इन महिलाओं ने शीर्ष अदालत से एसआईटी जाँच की गुहार लगाई है।
बंगाल में 2 मई 2021 को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद हिंसा भड़क उठी थी। विपक्ष खासकर बीजेपी समर्थकों को चुन चुनकर निशाना बनाने के आरोप टीएमसी समर्थकों पर लगे थे। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार गोधरा मामले का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से उसी तरह अपनी निगरानी में बंगाल में गैंगरेप और हत्याओं की एसआईटी जाँच की माँग की गई है।
Horror tales emerge as Bengal gang-rape survivors move SC https://t.co/Ifq8RAr9Al via @timesofindia
— Dr Shobha (@DrShobha) June 13, 2021
60 साल की महिला से उसके पोते के सामने किया गैंगरेप
एक 60 वर्षीय महिला नेने शीर्ष अदालत को बताया है कि बताया कि किस तरह से टीएमसी कार्यकर्ता विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद पूरबा मेदिनीपुर के एक गांव में उसके घर में घुस गए और लूटने से पहले उसके छह साल के पोते के सामने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। उसके परिवार का सारा कीमती सामान 4-5 मई की रात को लूटा ।

उसने कहा कि भाजपा के निर्वाचन क्षेत्र (खेजुरी) से जीतने के बावजूद, 100-200 टीएमसी कार्यकर्ताओं की भीड़ ने 3 मई को उसके घर को घेर लिया और उसे बम से उड़ाने की धमकी दी। अगले दिन उसकी बहू डर के मारे घर से निकल गई। महिला ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष अपने आवेदन में आरोप लगाया कि 4-5 मई की दरमियानी रात को पांच टीसी कार्यकर्ताओं ने घर में घुसकर मारपीट की, उसे चारपाई से बांध दिया और फिर उसके पोते के सामने सामूहिक दुष्कर्म किया।
उसने कहा कि अगली सुबह पड़ोसियों ने उसे बेहोशी की हालत में पाया और उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। उसने आरोप लगाया कि जब उसका दामाद प्राथमिकी दर्ज कराने पुलिस के पास गया तो पुलिस ने मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि टीएमसी कार्यकर्ताओं ने राज्य में चुनाव के बाद की हिंसा के दौरान बदला लेने, अपमानित करने और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को चुप कराने के लिए बलात्कार को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया।
“उसने कहा “हालांकि इतिहास भीषण उदाहरणों से भरा हुआ है जहां बलात्कार को दुश्मन नागरिक आबादी को आतंकित करने और दुश्मन सैनिकों को हतोत्साहित करने की रणनीति के रूप में नियोजित किया गया था, लेकिन कभी भी एक महिला नागरिक के खिलाफ उसके या उसके परिवार की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी के लिए इस तरह के क्रूर अपराध नहीं किए गए थे।

“स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही जांच की विकृति का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि बलात्कार पांच आरोपियों द्वारा किया गया था, जो सभी बलात्कार पीड़िता द्वारा नामित थे, और जब बलात्कार की पुष्टि एक मेडिकल रिपोर्ट से होती है, पुलिस ने जानबूझकर प्राथमिकी में पांच आरोपियों में से केवल एक का नाम चुना है।” उन्होंने आरोप लगाया और एसआईटी/सीबीआई द्वारा जांच की मांग करते हुए कहा कि आरोपी सत्ताधारी दल के सदस्य हैं।
दलित नाबालिग से गैंगरेप
अनुसूचित जाति की एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़की ने भी अपने साथ टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा कथित गैंगरेप के मामले की सीबीआई या एसआईटी से जाँच करवाने की माँग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। पीड़िता ने मामले का ट्रायल राज्य से बाहर करवाने की भी माँग की। पीड़िता ने आरोप लगाया कि टीएमसी के गुंडों ने उसे घसीटने के बाद न केवल उसका गैंगरेप किया, बल्कि उसे जंगल में मरने के लिए फेंक दिया था। वारदात के अगले दिन सत्ताधारी पार्टी के एक स्थानीय नेता ने पीड़िता के घर आकर शिकायत नहीं करने के लिए परिजनों को धमकी भी दी थी।
युवती ने कहा कि गैंगरेप की वारदात के बाद उसे चाइल्ड वेलफेयर होम में शिफ्ट कर दिया गया, जहाँ उसके परिजनों को उससे मिलने की इजाजत नहीं थी। मामले की स्वतंत्र जाँच की माँग करते हुए पीड़िता ने कहा कि पुलिस वाले उसके परिवार को सांत्वना के बजाय कह रहे हैं कि उनकी दूसरी बेटी के साथ भी इसी तरह की वारदात हो सकती है।
पति की हत्या की कोशिश
पूर्णिमा मंडल ने अपनी याचिका में कहा है कि 14 मई को उनके पति धर्मा मंडल पर कुल्हाड़ी से हमला किया गया क्योंकि उन्होंने बीजेपी के लिए प्रचार किया था। 16 मई को उनके पति की मौत हो गई। उनके साथ भी रेप की कोशिश की गई। पूर्णिमा के मुताबिक हिंसक भीड़ का नेतृत्व स्थानीय नेता कालू शेख कर रहा था। उनका आरोप है कि पुलिस ने उन पर मामले को कमजोर करने का दबाव बनाया और कालू शेख की भूमिका को अनदेखा कर दिया।
इससे पहले हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता अभिजीत सरकार और हारन अधिकारी के परिजनों ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हिंसा की सीबीआई या SIT जाँच की अपील की थी। अभिजीत सरकार की पत्नी जो उनकी हत्या की चश्मदीद भी हैं ने बताया था, “भीड़ ने उनके पति के गले में सीसीटीवी कैमरे का तार बाँध दिया। गला दबाया। ईंट और डंडों से पीटा। सिर फाड़ दिया और माँ के सामने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी। आँखों के सामने बेटे की हत्या होते देख उनकी माँ बेहोश होकर मौके पर ही गिर गईं।”