झाबुआ। राकेश पोद्दार। नगर संवाददाता। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के मध्य क्षेत्र सह संयोजक ओम शर्मा ने चिकित्सा एवं नर्सिंग पाठ्यक्रमों हेतु वर्तमान में दशको पुराने प्रचलित पात्रता मापदंडो में व्याप्त विसंगतियों की ओर राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग तथा भारतीय उपचर्या परिषद का ध्यान आकर्षित किया है। उन्हानें बताया की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने के ध्येय से उसे आयु एवं विषयों की बाध्यता से मुक्त किया गया है। लेकिन चिकित्सा एवं नर्सिंग पाठ्यक्रमो के प्रवेश पात्रता में अभी भी न्यूनतम आयु एवं अंग्रेजी की अनिवार्यता है। वर्तमान में देश के कई विश्वविद्यालयों में चिकित्सा एवं नर्सिंग पाठ्यक्रमों को अध्यापन न केवल हिन्दी बल्कि क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं में भी किया जा रहा है। ऐसे में प्रवेश पात्रता के रुप में अंग्रेजी की अनिवार्यता नितांत अनावश्यक है। आपने पत्र में इन दोनो संस्थाओ ंसे आग्रह किया है कि इस विसंगति को शीघ्र दूर करे जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति अपने पूर्ण अर्थो में वास्तविक रुप से क्रियान्वित हो सके।