कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में शामिल स्वास्थ्यकर्मियों पर हमलों की पृष्ठभूमि में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक अध्यादेश को मंजूरी दी। इसमें उनके खिलाफ हिंसा को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बनाया गया है। आज केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस संबंध में जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित अध्यादेश में स्वास्थ्यकर्मियों के घायल होने, सम्पत्ति को नुकसान होने पर मुआवजे का भी प्रावधान किया गया है। जावड़ेकर ने कहा कि प्रस्तावित अध्यादेश के माध्यम से महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन किया जाएगा। इससे स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मियों की सुरक्षा और उनके रहने व काम करने की जगह को हिंसा से बचाने में मदद मिलेगी।
यह पूछे जाने पर क्या कोविड-19 के बाद भी नए बदलाव लागू रहेंगे, जावड़ेकर ने कहा कि अध्यादेश को महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन के लिए मंजूरी दी गई है।
अध्यादेश में हिंसा के दोषी के लिए छह महीने से सात साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। इस अध्यादेश के तहत पुलिस को 30 दिन में घटना की जांच करना अनिवार्य किया होगा, वहीं एक साल में फैसला आएगा।
बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस महामारी से देश को बचाने की कोशिश कर रहे स्वास्थ्यकर्मी दुर्भाग्य से हमलों का सामना कर रहे हैं। उनके खिलाफ हिंसा या इस तरह की कोई घटना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एक अध्यादेश लाया गया है, इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू किया जाएगा।
#Cabinet approves promulgation of Ordinance to amend the Epidemic Diseases Act, 1897 making such acts of violence as cognizable and non-bailable offences and to provide compensation for injury to healthcare service personnel or for causing damage or loss to the property pic.twitter.com/ullrPXvRKA
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) April 22, 2020
ऐसा अपराध गैर-जमानती होगा
जावड़ेकर ने कहा कि महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन कर अध्यादेश लागू किया जाएगा। ऐसा अपराध अब संज्ञेय और गैर-जमानती होगा। 30 दिनों के अंदर जांच की जाएगी। आरोपी को तीन महीने से पांच साल तक की सजा हो सकती है और दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
महामारी रोग अधिनियम 1897 में संशोधन और अध्यादेश लागू किया जाएगा। डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर पर हमला गैर-जमानती होगा। अगर डॉक्टर या स्वास्थकर्मी को गंभीर चोट आई तो आरोपी को 6 महीने से 7 साल तक की सजा, और 1 लाख से लेकर 5 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है । #cabinetdecision
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) April 22, 2020
पांच लाख तक का जुर्माना
उन्होंने कहा कि गंभीर चोटों के मामले में आरोपी को छह महीने से सात साल तक की सजा हो सकती है। साथ में दोषी पर एक लाख रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यदि स्वास्थ्यकर्मियों के वाहनों या क्लीनिकों को नुकसान पहुंचता है तो क्षतिग्रस्त संपत्ति का दोगुना मुआवजा दोषियों से लिया जाएगा।
उड़ानें फिर से शुरू करने पर फैसला नहीं
उड़ान सेवा पर उन्होंने कहा कि उड़ान संचालन को फिर से शुरू करने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। दोबारा शुरू करने के समय इसकी घोषणा कर दी जाएगी।