नई दिल्ली:भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने देश में कोरोना वायरस संक्रमण की व्यापकता का आकलन करने के लिए अपने देशव्यापी सर्वे के तहत मध्य प्रदेश से 1700 सैंपल एकत्र किए हैं। ये सैंपल राज्य के चार जिलों से उन लोगों के लिए गए हैं जिनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सर्वे के परिणाम से इंदौर, देवास, उज्जैन और ग्वालियर जिलों में कोरोना के प्रसार के बारे में सटीक जानकारी मिल सकेगी। उनके अनुसार, इस सर्वे से यह पता लगाने में भी मदद मिलेगी कि कोरोना वायरस का सामुदायिक संचरण हुआ या नहीं और लोगों को सामूहिक प्रतिरक्षा विकसित हुई या नहीं। देशव्यापी सर्वे को सेरो-सर्वे नाम दिया गया है। इसके तहत जबलपुर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च इन ट्राइबल हेल्थ (एनआईआरटीएच) ने लोगों का ब्लड सैंपल एकत्र किया।
एनआईआरटीएच के निदेशक अपरूप दास ने कहा कि इस सर्वे के तहत इंदौर में कोविड-19 के कंटेनमेंट जोनों से 500 लोगों का ब्लड सैंपल लिया गया। इनमें से कई को बुखार और खांसी भी थी। उन्होंने कहा कि लोगों के ब्लड सेरम की जांच सार्स-सीओवी-2 के प्रसार की निगरानी के लिए की जा रही है। ब्लड सेरम की जांच के बाद, यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि सार्स-सीओवी-2 हमले से पीड़ित व्यक्ति में प्रतिरक्षा प्रणाली कैसे प्रतिक्रिया जताती है और क्या व्यक्ति के खून में इस वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी उत्पन्न होता है या नहीं? साथ ही, यह हर्ड इम्यूनिटी के बारे में भी जानकारी उपलब्ध कराएगा।
दास ने कहा कि इन दिनों राज्य भर से बड़ी संख्या में कोरोना मामले सामने आ रहे है, इनमें कई मरीजों में इस संक्रमण के लक्षण नहीं दिख रहे हैं जबकि अन्य लोगों में सामान्य लक्षण पाए जा रहे हैं। आईसीएमआर के सेरो-सर्वे के तहत इंदौर से 500 लोगों जबकि देवास, उज्जैन और ग्वालियर से 400-400 लोगों के सैंपल लिए गए। राज्य में इंदौर कोरोना से सर्वाधिक संक्रमित जिला है। यहां अब तक 3344 मरीज मिले चुके हैं और 126 की मौत हो चुकी है। सभी सैंपलों को चेन्नई स्थित आईसीएमआर कार्यालय को जांच के लिए भेजा गया है।
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