सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता Prashant Bhushan के खिलाफ अवमानना मामले में सजा का ऐलान किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में Prashant Bhushan पर एक रुपए का जुर्माना लगाया। जुर्माना नहीं चुकाने की स्थिति में वे 3 साल तक वकालत नहीं कर पाएंगे और उन्हें तीन महीने की जेल की सजा भुगतना होगी।
न्यायपालिका के खिलाफ दो आपत्तिजनक ट्वीट करने के मामले में कोर्ट ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को दोषी ठहराया था।जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने यह फैसला सुनाया। जस्टिस मिश्र दो सितंबर को रिटायर होने वाले हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को माफी मांगने के लिए समय दिया था, लेकिन उन्होंने माफी मांगने से इंकार कर दिया था। इसके बाद 25 अगस्त को सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने पीठ से भूषण को सजा नहीं देने का आग्रह किया था।
पिछली सुनवाई पर जस्टिस मिश्र की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने भूषण से कहा था कि आखिर वो क्यों माफी नहीं मांग सकते। माफी शब्द बोलने में उन्हें दिक्कत क्या है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी अदालत से भूषण को आगे से ऐसा नहीं करने की चेतावनी देते हुए माफ करने का आग्रह किया था। तब पीठ ने भूषण को अपना बयान वापस लेने पर विचार करने के लिए आधे घंटे का वक्त भी दिया था। वेणुगोपाल ने भी भूषण से अपने सभी बयान वापस लेने और खेद जताने को कहा था, लेकिन भूषण ने ऐसा करने से मना कर दिया था।
भूषण ने 29 जून को एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की एक फोटो पोस्ट की थी, जिसमें वे एक महंगी बाइक पर बैठे थे। उन्होंने तस्वीर के साथ आपत्तिजनक टिप्पणी भी की थी। उसके बाद दूसरे ट्वीट में उन्होंने देश के हालात को लेकर पिछले चार प्रधान न्यायाधीशों की भूमिका पर सवाल उठाए थे। भूषण के खिलाफ अवमानना का एक और मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
भूषण को पहले भी मिल चुका अवमानना का नोटिस:
प्रशांत भूषण को नवंबर 2009 में भी सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस दिया था। तब उन्होंने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के कुछ जजों पर टिप्पणी की थी।