पाकिस्तान में प्रतारणा अब सिर्फ हिन्दू धर्म (अल्पसंख्यकों) के लोगों तक ही सिमित नहीं अपितु अल्पसंख्यकों की पुरानी निशानियां (धरोहर) तक कट्टरपंथी संगठनों के निशानों पर रहती हैं। इसका हालिया उदाहरण लाहौर में देखने को मिला है। यहां मशहूर लाहौर किले में स्थापित महाराजा रणजीत सिंह की मूर्ति पर शुक्रवार को एक बार फिर हमला किया गया। आरोप है कि यह हमला पाकिस्तान में तहरीक-ए-लब्बैक कट्टर इस्लामिक संगठन ने किया है।
#Shameful this bunch of illiterates are really dangerous for Pakistan image in the world https://t.co/TXoAXCQtWW
— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) August 17, 2021
इस मूर्ति पर किया गया यह तीसरा हमला है। रिपोर्ट्स के मुताबिक हमला TLP के लोगों ने किया है। हालांकि, उनकी पहचान अभी सामने नहीं आई है। सामने आए सोशल मीडिया वीडियोज में दिखाया गया है कि संदिग्ध हमलावर ने हाथ से ही मूर्ति पर हमला किया और इसके पैर और दूसरे हिस्से तोड़ दिए। हालांकि, जब तक वह ज्यादा नुकसान पहुंचाता, दूसरे लोग आ गए और उसे रोक दिया गया।
हमलावर ने रणजीत सिंह के खिलाफ नारे भी लगाए। कांस्य से बनी इस 9 फीट की मूर्ति में रणजीत सिंह घोड़े पर बैठे हैं और उनके हाथ में तलवार है। वह सिखों के परिधान में बैठे दिखते हैं। इस मूर्ति को जून 2019 में लगाया गया था।
इससे पहले पिछले साल दिसंबर में भी एक शख्स ने मूर्ति पर हमला किया था। उसने मूर्ति का हाथ तोड़ दिया था। वह और नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहा था। उसे भी लोगों ने पकड़ लिया था। इसके अलावा एक बार और भीड़ ने मूर्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी।
बड़ा सवाल यह उठता है कि पाकिस्तान में जब अल्पसंख्यकों की पुरानी धरोहर सुरक्षित नहीं हैं तो अल्पसंख्यको के लोगों का क्या हाल होता होगा?