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Mahakaleshwar: बाबुलनाथ में आई दरार तो महाकाल में बरती जाने लगी विशेष सावधानी, बाबा को चढ़ता है सिर्फ RO का पानी | After the crack in Babulnath Shivling, these precautions are already being taken for the protection of Mahakal temple

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Mahakaleshwar: बाबुलनाथ में आई दरार तो महाकाल में बरती जाने लगी विशेष सावधानी, बाबा को चढ़ता है सिर्फ RO का पानी

Ujjain Mahakal Temple: बाबुलनाथ मंदिर की शिवलिंग में दरार से बनी एक लकीर की खबर के बाद उज्जैन में स्थित बाबा महाकाल मंदिर के पुजारियों का कहना है कि मंदिर में समय-समय पर एएसआई और जीएसआई की टीम यह जांच करने आती है कि शिवलिंग संरक्षित है या नहीं.

उज्जैन: 18वीं शताब्दी में महाराष्ट्र के मुंबई में स्थापित किए गए बाबुलनाथ मंदिर की शिवलिंग में दरार से बनी एक लकीर की खबर से कुछ दिनों पहले हड़कंप मच गया था. जिसके बाद मंदिर के ट्रस्ट ने आईआईटी बॉम्बे से संपर्क किया था. जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट मे इस बात का खुलासा हुआ था कि मंदिर में बड़ी संख्या में जो भक्त भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं. वह, दही, घी, शहद, दूध, भस्म, कुमकुम जैसी चीजों से भगवान का महाअभिषेक करते हैं. आईआईटी बॉम्बे की तरफ से दी गई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ था कि शिवलिंग पर दूध सहित दूसरी चढ़ाई जाने वाली वस्तुओं से होने वाले केमिकल रिएक्शन के कारण ही बाबुलनाथ जी के शिवलिंग में दरार आई है.

इसके बाद मंदिर ट्रस्ट ने शिवलिंग पर दुग्धाभिषेक सहित सभी प्रकार की चीजों के चढ़ाने पर पाबंदी लगा दी थी और शिवलिंग पर सिर्फ पानी से जलाभिषेक के अलावा फूल और फल चढ़ाने की ही इजाजत दी गई थी. बाबुलनाथ मंदिर में हुए शिवलिंग के शरण के बाद विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में मंदिर के पुजारियों और पुरोहितगणों से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि बाबा महाकाल के शिवलिंग का संरक्षण करना श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति ही नहीं बल्कि हमारा भी परम कर्तव्य है. मंदिर में समय-समय पर एएसआई और जीएसआई की टीम यह जांच करने आती है कि बाबा महाकाल का यह शिवलिंग संरक्षित है या नहीं.

बाबा महाकाल के मंदिर में बरती जाती है सतर्कता

महाकाल मंदिर के पंडित महेश पुजारी ने बताया कि एएसआई और जीएसआई की टीम के दिशा निर्देशों का पालन करने के साथ ही पुजारी और पुरोहितों के द्वारा भी सतर्कता बरतने से बाबा महाकाल का शिवलिंग पूरी तरह संरक्षित है. उन्होंने बताया कि बाबुलनाथ मंदिर की तरह की कुछ वर्षों पहले महाकालेश्वर मंदिर में एएसआई और जीएसआई द्वारा की गई जांच के दौरान भी यह पाया गया था कि बाबा महाकाल को अर्पित की जाने वाली पूजन सामग्री में मिलावट है, जिसके बाद हमने मंदिर में होने वाला पंचामृत पूजन करना बंद कर दिया था.

साथ ही एएसआई और जीएसआई के निदेर्शों के तहत बाबा महाकाल को आरओ का जल ही अर्पित किया जाने लगा. वर्तमान में भी मंदिर में बाबा महाकाल को आरओ का जल ही चढ़ाया जाता है. पंडित महेश पुजारी ने यह भी बताया कि श्रद्धालुओं को भी इस बात के लिए जागरूक होने की आवश्यकता है कि वह किसी भी शिवलिंग पर यदि कोई पूजन सामग्री अर्पित कर रहे हैं तो वह पूरी तरह शुद्ध हो भगवान हमारी सभी मनोकामना को पूर्ण करते हैं इसीलिए हमें भी इतना जागरुक होना जरूरी है कि हम भी देवी देवताओं की इन प्रतिमाओं को संरक्षित कर सके.

बाबा महाकाल को चढाया जाता है आरओ का पानी

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि मंदिर में बाबा महाकाल को परंपरागत पूजा अर्चना के दौरान जो पूजन सामग्री अर्पित की जाती है वह पूरी तरह शुद्ध होती है. इसके साथ ही प्रबंध समिति इस बात का भी ध्यान रखती है कि बाबा महाकाल को अर्पित किए जाने वाला जल भी पूरी तरह शुद्ध हो यही कारण है कि मंदिर में एक आर आरओ लगाया गया था. जिसका जल गर्भग्रह में श्रद्धालुओं को उपलब्ध करवाया जाता है. जिससे श्रद्धालु इस जल से ही बाबा महाकाल का जलाभिषेक करते हैं. यह भी बताया कि एएसआई और जीएसआई द्वारा दिए जाने वाले सभी निर्देशों का पालन मंदिर में किया जाता है.

2016 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर महाकाल मंदिर पहुंची थी एएसआई और जीएसआई की टीम

बताया जाता है कि वर्ष 2016 में बाबा महाकाल के शिवलिंग के संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एएसआई और जीएसआई की टीम महाकाल मंदिर पहुंची थी. जिन्होंने कई वर्षों तक इस बात की जांच की,कि बाबा महाकाल का शिवलिंग संरक्षित है या नहीं. इसके लिए एएसआई और जीएसआई की 8 सदस्य टीम ने शिवलिंग की गोलाई, ऊंचाई, नापने के साथ ही महाकालेश्वर मंदिर में चढ़ाए जाने वाली पूजन सामग्री भी जांच के लिए पहुंचाई थी. जिसकी जांच आने के बाद इसकी पूरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई थी.

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बताया जाता है कि वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि शिवलिंग पर केवल आरओ का जल ही चढ़ाया जाए, जिसके बाद 2 सितंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश माननीय जस्टिस मिश्रा ने मंदिर प्रशासन को 8 सुझाव पर अमल करने की हरी झंडी देते हुए कहा था कि महाकालेश्वर मंदिर के शिवलिंग पर 500 मिलीलीटर से ज्यादा जल अर्पित ना किया जाए. भस्म आरती के दौरान शिवलिंग को सूत के सूती कपड़े से पूरा ढका जाए. बाबा महाकाल को आरओ का जल चढ़ाने के साथ ही नकली चीनी, घी, चीनी पाउडर ना चढ़ाया जाए. साथ ही बाबा महाकाल का शिवलिंग सुखा रहे इसीलिए गर्भगृह में ड्रायर और पंखे भी लगाया जाए.

‘शिव प्रतिमा पर जल चढ़ाने से रोकना पूरी तरह गलत’

अति प्राचीन बाबुलनाथ शिव मंदिर में भगवान के शिवलिंग में आई दरार के बाद जब महाकाल दर्शन करने आए भक्तों से इस विषय पर चर्चा की गई कि तो भक्तों ने भी इस मामले में अपनी राय रखी. भक्त नितिन माली ने कहा कि मुंबई के प्रसिद्ध शिव मंदिर बाबुलनाथ में शिव प्रतिमा पर जल चढ़ाने से रोक लगाना गलत है, हो सकता है जल चढ़ाने से प्रतिमा का क्षरण हो रहा हो परंतु यह मामला लाखों लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है इसलिए एक ऐसा रास्ता निकाला जाना चाहिए जिससे प्रतिमा का क्षरण भी ना हो और श्रद्धालु भगवान को जल भी अर्पित कर सके.

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वहीं मुंबई से आए श्रद्धालु निश्मा ने कहा कि दूर-दूर से भक्त भगवान के दर्शन के साथ ही उनके जलाभिषेक की कामना लेकर भी शिव मंदिर पहुंचते हैं. भगवान की प्रतिमाओं को क्षरण से बचाना आवश्यक है, लेकिन ऐसी गाइडलाइन भी बनाई जा सकती है जिससे कि श्रद्धालुओं की भावना भी आहत ना हो और प्रतिमाओं को बचाया भी जा सके.