इंदौर। कोरोनाकाल में जिला प्रशासन द्वारा किए गए इंतजामों को अपर्याप्त बताते हुए दायर जनहित याचिका खारीज करते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर सख्त नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि व्यवस्था में खामियां निकालना बहुत आसान है। किसी के अच्छे काम की तारीख करना उतना ही मुश्किल। याचिकाकर्ता ने असत्य तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर यह जनहित याचिका दायर की थी। इसे खारीज ही किया जाना चाहिए।
हाई कोर्ट में यह जनहित याचिका अजय दुबे ने दायर की थी। इसमें कोरोनाकाल के दौरान शासन-प्रशासन द्वारा महामारी से निपटने के लिए किए गए इंतजामों को नाकाफी बताते हुए कहा था कि केंद्र सरकार का दल भी व्यवस्थाओं से नाखुशी जाहिर कर चुका है। शासन की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता विवेक दलाल ने पैरवी की थी। उन्होंने शासन द्वारा किए गए इंतजामों की विस्तृत जानकारी कोर्ट के समक्ष रखी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था जो अब जारी हुआ है। हालांकि हाई कोर्ट की साइट पर तीन दिन पहले ही याचिका खारीज किए जाने की जानकारी जारी हो चुकी थी।
यह कहा है कोर्ट ने फैसले में-
कोर्ट ने याचिका खारीज करते हुए 19 पेज के फैसले में जिला प्रशासन द्वारा कोरोनाकाल में किए गए इंतजामों की तारीफ की है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने खुद महामारी के दौरान एक भी उल्लेखनीय काम नहीं किया है। यह याचिका सिर्फ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने और समाचार पत्रों में सुर्खियों में रहने के लिए दायर की गई है। न्यायालय ने खुद तालाबंदी के दौरान बस्तियों में किए गए जांच, खाने-पीने के इंतजामों को देखा है। कलेक्टर और अन्य अधिकारियों ने इस दौरान उम्दा काम किया। अस्पतालों में मरीजों को जांच, बिस्तर, दवा आदि का पर्याप्त इंतजाम करना आसान नहीं था। जिला प्रशासन ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है। ऐसी स्थिति में यह जनहित याचिका खारीज किए जाने योग्य है।