Highlights
- भारत में 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन को मंजूरी
- ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने जायडस कैडिला वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी दी
- व्यस्कों को भी लगाया जा सकेगा ये वैक्सीन, इसके तीन डोज लेने होंगे
- वैक्सीन को पारंपरिक सिरींज से अलग सुई रहित एप्लीकेटर के जरिए शरीर में दिया जाएगा
भारत के औषधि महानियंत्रक ने कोविड-19 के एक और टीके जाइडस केडिला को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दे दी है। जाइडस केडिला की वैक्सीन के तीन डोज दिए जाएंगे। इसे व्यस्कों सहित 12 साल की उम्र से अधिक के बच्चों को भी दिया जा सकता है। इसी के साथ भारत में छठे वैक्सीन को इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है।
“सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने Zydus Cadila द्वारा दुनिया में पहली डीएनए-आधारित, सुई-मुक्त COVID19 वैक्सीन – ‘ZyCov-D’ को मंजूरी दी। इस वैक्सीन का इस्तेमाल 12 साल और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए किया जा सकता है,” स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट किया।
कंपनी ने कहा है कि उसकी योजना सालाना 10 करोड़ से 12 करोड़ डोज बनाने की है। साथ ही कंपनी ने बताया कि उसने वैक्सीन को जमा करना शुरू भी कर दिया है।
इस वैक्सीन को कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड कंपनी ने बनाया है। कंपनी ने भारत में इस्तेमाल की मंजूरी के लिए 1 जुलाई को अप्लाई किया था। कंपनी के अनुसार वैक्सीन के अंतिम चरण के परीक्षण में देश भर में 28 हजार वॉलेंटियर्स ने हिस्सा लिया था और इसकी प्रभावी क्षमता 66.6 प्रतिशत रही थी।
जाइडस केडिला दुनिया का पहला प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन
बता दें कि कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड के रूप में सूचीबद्ध जेनेरिक दवा निर्माता ने 1 जुलाई को ZyCoV-D के प्राधिकरण के लिए आवेदन किया था। इसके लिए राष्ट्रव्यापी 28,000 से अधिक स्वयंसेवकों पर प्रथम चरण के परीक्षण में 66.6 प्रतिशत की प्रभावकारिता को दर्शाया गया था।
दरअसल, ZyCoV-D कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया का पहला प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है। यह वैक्सीन वायरस से आनुवंशिक सामग्री के एक हिस्से का उपयोग करता है जो डीएनए या आरएनए के तौर पर खास प्रोटीन बनाता है। इसके बाद शरीर का इम्यून सिस्टम इसकी पहचान करता है और फिर प्रतिक्रिया करता है।
जाइडस कैडिला की वैक्सीन को बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के साथ मिलकर विकसित किया गया है। भारत बायोटेक के कोवैक्सीन के बाद ये भारक में विकसीत दूसरी वैक्सीन है।
वैक्सीन निर्माता ने जुलाई में कहा था कि उसका COVID-19 वैक्सीन कोरोना वायरस के नए वेरिएंट पर भी प्रभावी है। खासकर इसके डेल्टा वेरिएंट पर प्रभावी होने की बात कही गई थी। भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए डेल्टा वेरिएंट ही मुख्य तौर पर जिम्मेदार था। इस वैक्सीन को पारंपरिक सिरींज से अलग सुई रहित एप्लीकेटर के जरिए शरीर में दिया जाएगा।
इससे पहले भारत में कोरोना वैक्सीन के तौर पर सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन, रूस के स्पुतनिक-वी, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन को मंजूरी दी जा चुकी है।
Zydus Group के अध्यक्ष, पंकज आर पटेल ने कहा हम बेहद खुश हैं कि ZyCoV के साथ Corona से लड़ने के लिए एक सुरक्षित, अच्छी तरह से सहन करने योग्य और प्रभावकारी वैक्सीन बनाने के हमारे प्रयास एक वास्तविकता बन गए हैं। इतने महत्वपूर्ण मोड़ पर और तमाम चुनौतियों के बावजूद दुनिया का पहला डीएनए वैक्सीन बनाना, भारतीय शोध वैज्ञानिकों और उनकी नवोन्मेष की भावना को श्रद्धांजलि है। मैं आत्म निर्भर भारत और भारतीय वैक्सीन मिशन Corona सुरक्षा के इस मिशन में उनके समर्थन के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं।