देश की महानगरी मुंबई में राष्ट्रीय बहुभाषी काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन
झाबुआ। राकेश पोद्दार। हिंदी पखवाड़े के उपलक्ष में राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन देश की महानगरी मुंबई के ऐतिहासिक मराठा मंदिर सभागृह में 17 एवं 18 सितंबर को किया गया।
प्रथम दिन उद्घाटन सत्र में झाबुआ जिले से वरिष्ठ समाजसेवी एवं वरिष्ठ साहित्यकार तथा राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के संरक्षक यशवंत भंडारी ने विशिष्ट वक्ता के रूप में सारगर्भित विचार प्रकट किए। श्री भंडारी ने कहा कि जिस तरह हम राष्ट्रगान का सम्मान करते हैं तथा राष्ट्रीय ध्वज हमारी शान है, उसी तरह हमे राजभाषा हिंदी का भी सम्मान करना है। आपने कहा कि हिंदी भाषा हमारी राष्ट्रीय एकता, अस्मिता एवं स्वाभिमान की प्रतीक है।
प्राचीन काल में हिंदी का इतिहास समृद्धशाली एवं गौरवशाली
श्री भंडारी ने आगे बताया कि प्राचीन काल में हिंदी का इतिहास बहुत ही समृद्धशाली एवं गौरवशाली रहा है। हिंदी भाषा के साहित्यकारों ने पूरे विश्व में कई अनमोल एवं कालजयी साहित्य सर्जन किया है, जो आज भी प्रांसगिक एवं प्रसिद्ध है। आपने कहा कि हमारे देश का यह दुर्भाग्य रहा कि हम 200 वर्षों तक अंग्रेजों के पराधीन रहे, जिसके कारण तात्कालिक समय अंग्रेजी ही शासन-‘प्रशासन की भाषा बन गई साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी अंग्रेजों द्वारा अंग्रेजी को महत्व दिया गया। हिंदी भाषा को गौण बना दिया गया था, फिर भी आम भारतीयों की बोलचाल में हिंदी भाषा ही लोकप्रिय थी। भारतवासियो की हिन्दी के प्रति अगाध स्नेह एवं अपार श्रद्धा थी। उस समय भी हिन्दी भाषा के कई महान साहित्यकार हुए, जिन्होंने हिंदी को विपरीत परिस्थितियों में भी विश्व में स्थापित किया।
आज विष्व के कई देशों में बोली जा रहीं हिन्दी भाषा
राष्ट्रीय शिक्षक चेतना के संरक्षक यषवंत भंडारी के अनुसार देश की आजादी के आंदोलन में हिन्दी भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका रहीं है। हिन्दी के कारण ही राष्ट्र भक्ति का यह आंदोलन गांव-गांव तथा जन-जन तक पहुंच पाया। इसी वजह से देश आजाद होने के बाद संविधान निर्माताओं ने हिन्दी को ही राजभाषा और मातृ भाषा का दर्जा दिया। हिन्दी भाषा के महत्व को प्रतिपादित करते हुए श्री भंडारी ने कहा कि यह भाषा साहित्यिक एवं सामाजिक क्षेत्र में बहुत समृद्ध है तथा पुरे विश्व की सभी भाषाओं से श्रेष्ठ एवं सरल तथा सहज है। आज विश्व के कई देशों में हिंदी को सम्मान के साथ बोला जा रहा है, यह हमारी गौरवमयी उपलब्धि है।
साहित्यकारों का हिन्दी के प्रति समर्पण अभिनंदनीय
आपने हिंदी के साहित्यकारों के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि आपका हिंदी के प्रति समर्पण अभिनंदनीय है। आप जैसे विद्वान हिन्दी के साहित्यकारों के संभल एवं सहयोग से ही हिंदी भाषा दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता प्राप्त करती जा रही है। समोराह की अध्यक्षता संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष बृजकिशोर शर्मा पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी ने की तथा संचालन आयोजन के सूत्रधार डॉ. प्रभु चौधरी ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर डॉक्टर मनोहर, संजीव निगम संपादक, विलासराव देशमुख, प्रदीप बिचारे, डॉ. अनुसूया अग्रवाल, श्रीमती स्वर्णा जाधव, डॉ बालासाहेब पुरस्कर, डॉ. सुजाता पाटिल, डॉ, अरुण चतुर्वेदी, डॉ. अलका नाईक, डॉ अर्चना दुबे, राजकुमार यादव आदि भी मंचासीन रहे।