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राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के पत्र पर, हाईकोर्ट में जनहित याचिका के तौर पर हुई सुनवाई

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जबलपुर हाईकोर्ट, File PIc

प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में हो रही लापरवाही को मप्र हाइकोर्ट ने संज्ञान में लिया है। राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी। चीफ जस्टिस ने इस पत्र को जनहित याचिका के तौर पर लेते हुए गुरुवार को सुनवाई की। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बैंच ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला 19 अप्रैल तक के लिए सुरक्षित कर लिया है।

राज्यसभा सांसद विवेक कृष्ण तन्खा ने पत्र के माध्यम से सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों के इलाज में हो रही अव्यवस्था, निजी अस्पतालों में मरीजों से अनाप-शनाप बिल वसूली, ऑक्सीजन की कमी, रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत सहित कई बिंदुओं पर बात रखी थी। वहीं सृजन एक आशा संस्था ने इसी मामले में जनहित याचिका लगाई थी। सुनवाई के दौरान खुद सांसद विवेक तन्खा और वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर ने पक्ष रखा। वहीं शासन की ओर से शासकीय महाधिवक्ता सुनवाई में शामिल हुए।

सांसद के पत्र को भी जनहित याचिका के तौर पर हाईकोर्ट ने लिया
सांसद विवेक तन्खा के पत्र को हाई कोर्ट ने जनहित याचिका के तौर पर लेते हुए सृजन एक आशा संस्था की जनहित याचिका के साथ संयुक्त रूप से सुनवाई शुरू कर दी है। सांसद तन्खा की पत्र याचिका में कहा गया है कि प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी तरह ध्वस्त हो गई हैं। सरकारी अस्पतालों में इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। एक-एक बेड के लिए मारामारी मची हुई है। निजी अस्पतालों में इंश्योरेंस और सीजीएचएस सुविधा वाले मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। उनसे एडवांस में नकद भुगतान के लिए कहा जा रहा है। सुबह 11 बजे से शुरू हुई सुनवाई लंच के बाद भी चली। दोनों पक्षों का तर्क सुनने के बाद चीफ जस्टिस की डबल बेंच ने फैसला सुरक्षित रखते हुए 19 अप्रैल की तारीख तय की है।