सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल केंद्रीय जेल में बंद प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) के चार कथित कार्यकर्ताओं को गुरुवार को जमानत दे दी। महाराष्ट्र के सोलापुर निवासी चारों आरोपितों पर वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश के खंडवा में जेल ब्रेक कर फरार होने वाले सिमी के आतंकियों को पनाह देने का आरोप है। खंडवा जेल ब्रेक मामला अक्टूबर-2013 में हुआ था।
इस केस में मप्र आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) ने 24 दिसंबर 2013 को सोलापुर निवासी सादिक, इस्माइल माशालकर, उमेर दंडोती और इरफान को फरार आतंकियों को शरण देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन्हें भी सिमी से संबंधित अन्य आरोपितों के साथ भोपाल सेंट्रल जेल में रखा गया। उधर, इस मामले में 20 मार्च 2014 को एटीएस के आवेदन को स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने सादिक, इस्माइल, उमेर और इरफान की न्यायिक हिरासत की अवधि 90 दिन से बढ़ाकर 180 दिन कर दी थी।
आरोपितों की ओर से जांच एजेंसी द्वारा 90 दिन में चालान पेश नहीं करने के मामले को आधार बनाते हुए जमानत के लिए आवेदन लगाया गया था। इस पर कोर्ट ने आवेदन और अपीलों को वर्ष-2015 में खारिज कर दिया था। इसके बाद आरोपितों की तरफ से मप्र हाई कोर्ट में जमानत के लिए याचिका लगाई गई थी।
हाई कोर्ट ने भी उन्हें राहत देने से इन्कार कर दिया था। इसके बाद आरोपितों के वकील सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद चारों को जमानत देने का फैसला सुना दिया। इस फैसले के बाद गुरुवार रात चारों को केंद्रीय जेल भोपाल से रिहा कर दिया गया।