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कम नहीं हो रहीं वाड्रा की मुश्किलें,9 घंटे की पूछताछ के बाद 13 फरवरी को फिर बुलाया

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जयपुर: प्रवर्तन निदेशालय ने बीकानेर जिले में कथित जमीन घोटाले के संबंध में मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई राबर्ट वाड्रा से यहां अपने क्षेत्रीय कार्यालय में लगभग नौ घंटे तक पूछताछ की। वाड्रा बुधवार को फिर निदेशालय के अधिकारियों के समक्ष हाजिर होने के लिए कहा गया है। वाड्रा मंगलवार को सुबह साढे दस बजे से रात साढे आठ बजे तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के क्षेत्रीय कार्यालय में रहे।

 

इस बीच में उन्हें एक घंटे का भोजनावकाश दिया गया। रात साढे आठ बजे जैसे ही वह निदेशालय के कार्यालय से बाहर निकले वहां मौजूदा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नारे लगाए।वाड्रा के वकील ने पूछताछ के बाद संवाददाताओं से कहा,’पूछताछ लगभग नौ घंटे चली। उन्होंने ईडी अधिकारियों के सवालों के जवाब दिए। वे कल सुबह साढे दस बजे एक बार फिर यहां ईडी के कार्यालय में उपस्थित होंगे।’

 

 

वकील ने बताया कि वाड्रा की मां मौरीन का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, उनका इलाज चल रहा है इसलिए उन्हें बुधवार को पूछताछ के लिए नहीं बुलाया गया है। हालांकि उन्होंने जांच में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया है।इससे पहले सुबह साढे दस बजे वाड्रा अपनी मां मौरीन वाड्रा के साथ यहां अंबेडकर सर्किल स्थित ईडी कार्यालय पहुंचे।

 

वाड्रा के साथ उनकी पत्नी व कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा उन्हें ईडी कार्यालय तक छोड़ने आईं। मौरीन लगभग एक घंटे बाद ईडी कार्यालय से चली गयीं।

 

वहीं ईडी के समक्ष हाजिर होने से पहले वाड्रा ने फेसबुक पर पोस्ट में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर लोकसभा चुनाव से पहले बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया। ईडी कार्यालय की ओर जाने वाली सड़कों के किनारे के कुछ पोस्टर लगे थे जिन पर राहुल, प्रियंका व वाड्रा के फोटो के साथ ‘कट्टर सोच नहीं युवा जोश’ जैसे नारे लिखे हैं।

 

हालांकि कांग्रेस के स्थानीय पदाधिकारियों ने इन पोस्टरों के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की। ईडी कार्यालय के बाहर मौजूद कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रियंका गांधी जिंदाबाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘चौकीदार चोर है’ नारे लगाए।

 

वाड्रा जयपुर में ईडी के सामने पहली बार हाजिर हुए हैं। इससे पहले जांच एजेंसी ने दिल्ली में उनसे तीन बार पूछताछ कर चुकी है। एजेंसी वाड्रा के खिलाफ कथित धन शोधन और विदेशों में अवैध तरीके से संपत्ति खरीदने में उनकी कथित भूमिका के मामले की जांच कर रही है।

 

राजस्थान उच्च न्यायालय ने वाड्रा व उनकी मां से कहा था कि वे एजेंसी को जांच में सहयोग करें। इसके बाद ही दोनों यहां ईडी कार्यालय में हाजिर हुए हैं। एजेंसी ने बीकानेर जमीन घोटाला मामले में वाड्रा को तीन बार सम्मन जारी किए लेकिन वह नहीं आए तो एजेंसी अदालत चली गयी। ईडी ने 2015 में इस बारे में एक मामला दर्ज किया था।

 

वाड्रा व उनकी मां मौरीन सोमवार सुबह यहां पहुंचे, वहीं प्रियंका गांधी सोमवार रात विशेष विमान से यहां आयी थी । वह वाड्रा को ईडी कार्यालय छोड़ने के बाद विशेष विमान से उत्तर प्रदेश लौट गयीं।

 

सेना की जमीन थी, इसे बेच नहीं सकते

2007 में वाड्रा ने स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक कंपनी बनाई। वाड्रा और उनकी मां मौरिन कंपनी की डायरेक्टर बनीं। बाद में कंपनी का नाम स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी लिमिटेड लायबिलिटी कर दिया गया। रजिस्ट्रेशन के वक्त बताया गया था कि ये कंपनी रेस्टोरेंट, बार और कैंटीन चलाने जैसे काम करेगी।

 

फायरिंग रेंज की जमीन होने का आरोप

वाड्रा की कंपनी ने 2012 में कोलायत क्षेत्र में 270 बीघा जमीन 79 लाख रुपए में खरीदी। आरोप है कि यह बीकानेर में भारतीय सेना की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज की जमीन थी। इस जमीन के कुछ हिस्से पर विस्थापित लोगों को बसाया गया था, लेकिन उनमें से कुछ ने फर्जी दस्तावेज तैयार करवाकर जमीन वाड्रा की कंपनी को बेच दी, जबकि सेना की जमीन बेची नहीं जा सकती।

बाद में वाड्रा की कंपनी ने यह जमीन पांच करोड़ रुपए में बेची। ईडी ने इस मामले में कुछ स्थानीय अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी है।

वसुंधरा सरकार ने शुरू कराई जांच
2013 में राजस्थान में भाजपा सरकार बनी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस जमीन सौदे की जांच शुरू कराई। 2014 में जमीन सौदों को लेकर केस दर्ज किया गया। कुल 16 मामले दर्ज कराए गए। इनमें से चार मामलों में वाड्रा की कंपनी जुड़ी है। बाद में राज्य सरकार ने मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई ने 31 अगस्त 2017 को आईपीसी की धारा 420, 461, 478 व 471 के तहत मामला दर्ज किया।

जमीन खरीदने वाली कंपनी और कांग्रेस विधायक के भाई पर भी शक
2015 में मनी लांड्रिंग से जुड़े इस मामले की जांच ईडी ने शुरू की। जांच एजेंसी को वाड्रा की कंपनी से जमीन खरीदने वाली कंपनी एलजेनी फिनलीज प्राइवेट लिमिटेड पर भी शक है। जमीन खरीदने के लिए इस कंपनी ने भूषण पावर और स्टील से करीब साढ़े पांच करोड़ का कर्ज लिया था। बाद में सरकार ने भूषण स्टील को 500 करोड़ रुपए के विभिन्न करों से राहत दे दी। जमीन की सौदेबाजी में कांग्रेस के एक विधायक के भाई महेश नागर की भूमिका पर भी शक है। महेश के करीबी अशोक कुमार ने कंपनी के लिए कोलायत में जयप्रकाश से जमीन के सौदे किए थे। अशोक और जयप्रकाश को गिरफ्तार भी किया गया।