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काम नहीं आया नागेश्वर राव का माफीनामा; अवमानना के दोषी करार, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई ‘अनोखी सजा’

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नई दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी पाते हुए उन्हें सजा सुनाई है। कोर्ट राव के माफीनामे से संतुष्ट नहीं हुआ और उन्हें सजा सुनाई। शीर्ष अदालत ने कोर्ट के उठने तक राव को कोने में बैठे रहने के लिए कहा। साथ ही उन पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया। राव ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की जांच करने वाले अधिकारी का तबादला किया था।

 

बता दें कि राव ने सोमवार को स्वीकार किया कि सीबीआई का अंतरिम प्रमुख रहते हुए जांच एजेंसी के पूर्व संयुक्त निदेशक ए के शर्मा का तबादला करके उन्होंने गलती की और उन्होंने उच्चतम न्यायालय से इसके लिए माफी मांगते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के आदेशों का उल्लंघन करने की उनकी कोई मंशा नहीं थी। राव ने सात फरवरी को उन्हें जारी अवमानना नोटिस के जवाब में एक हलफनामा दायर किया। उन्होंने कहा कि वह शीर्ष अदालत से बिना शर्त माफी मांगते हैं।

 

 

 

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने के लिए राव और विधिक सलाहकार दोनों पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने सजा के तौर पर दोनों से कहा कि जब तक कोर्ट उठ नहीं जाती तब तक वे कोने में बैठे रहे। कोर्ट ने कहा कि यह दोनों की सजा होगी।

 

शीर्ष अदालत ने राव की बिना शर्त वाले माफीनामे को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि शीर्ष अदालत ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की जांच करने वाले सीबीआई के अधिकारी अरुण कुमार शर्मा का तबादला नहीं करने का आदेश दो बार दिया था। इसके बावजूद राव ने कोर्ट के आदेश की अवमाननता करते हुए शर्मा को कार्यमुक्त कर दिया।

 

न्यायालय ने इसके पहले आदेश का उल्लंघन करने पर गत सात फरवरी को सीबीआई को फटकार लगाई थी और राव को 12 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से उसके समक्ष उपस्थित होने को कहा था।

 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले दो आदेशों का उल्लंघन किए जाने को गंभीरता से लिया और शर्मा का कोर्ट की पूर्व अनुमति के बगैर 17 जनवरी को सीआरपीएफ में तबादला किए जाने पर राव के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था।