अयोध्या में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बने यह इच्छा हर राम भक्त की है। पांच सौ वर्षो के इंतजार के बाद वह शुभ घड़ी आई है जब रामभक्तों की मुराद पूरी होने जा रही है। प्रभु श्रीराम का मंदिर ‘हवा’ में नहीं जमीन पर ही बनेगा, इस लिए जमीन की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपी गई है। मंदिर निर्माण के लिए पर्याप्त जमीन की व्यवस्था करने के लिए ट्रस्ट को काफी मशक्कत करनी पड़ रही। जमीन जुटाते समय उसे चिंता इस बात की भी कि उसके किसी व्यवहार से मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की छवि धूमिल नहीं हो। इस लिए ट्रस्ट फूंक-फूंक कर कदम रख रही थी। उसे पता था कि भगवान श्रीराम का मंदिर बनना कुछ ‘असुरी’ शक्तियों को रास नहीं आ रहा है। इसी लिए तो मंदिर निर्माण पर न्याय मिलने में पांच सौ वर्ष का समय लग गया था। कांग्रेस के कई दिग्गज नेता हो या फिर वामपंथी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल के नेता और कथित बुद्धिजीवी सब के सब मंदिर निर्माण में रोड़े अटकाने का काम कर रहे थे तो श्रीराम जन्मभूमि स्थल को कथित बाबरी मस्जिद बताने वालीं शक्तियां एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए थीु कि अयोध्या विवाद सुलझ नहीं पाए। कौन भूल सकता है कि कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने तो प्रभु श्रीराम और राम सेतु के अस्तित्व को ही नकार दिया था,ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मनमोहन सिंह सरकार की ‘चाबी’ उस कथित गांधी परिवार के हाथ में थी, जिसका हिन्दुत्व और सनातन धर्म से दूर-दूर तक नाता नहीं है। इसी लिए तो इस परिवार की कांगे्रस उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके मौजूदा नाम की जगह उस नाम से बुलाती है जो सन्यास से पूर्व उनका नाम हुआ करता था।
यह कहा जाए कि राजीव गांधी की मौत के बाद की कांग्रेस का देश की संप्रभुता और स्वाभिमान की रक्षा से कोई नाता नहीं रह गया है तो कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी। वर्ना कांगे्रस कश्मीर में धारा 370 को पुनः लागू करने की बात और चीन क साथ गलबहियां नहीं करती। बटाला हाउस में आतंकवादी कांड पर सोनिया गांधी को रोना नहीं आता। कांगे्रस नेता मणिशंकर अययर मोदी को हटाने के लिए पाकिस्तान से मदद नहीं मांगते। सब जानते हैं कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी विदेश की धरती पर जाकर देश को हिन्दू आतंकवाद से खतरा होनी की बात कहते हुए हिचकिचाते नहीं हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि कांगे्रस के मौजूदा नेतत्व को हिन्दुत्व और सनातन धर्म से हमेशा बैर रहा है। यह बात हम इस लिए कह सकते हैं क्योकि देश में अभिव्यक्ति की आजादी सबको मिली हुई है। कांगे्रस की तर्ज पर कुछ क्षेत्रीय दल भी वोट बैंक की सियासत के चलते हिन्दुत्व और हिन्दुओं की भावनाओं का मजाक उड़ाने में लगे हुए हैं,इसमें पहले कांग्रेस के साथ-साथ सपा,बसपा,राष्ट्रीय जनता दल,वामपंथी पार्टियों का नाम आता था,अब इस कड़ी में आम आदमी पार्टी का भी नाम जुड़ गया है।
हिन्दू और हिन्दुत्व विरोधी उक्त दलों ने अब श्रीराम मंदिर निर्माण के काम में बाधा डालने के लिए प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन में धांधली का आरोप लगाना शुरू कर दिया है। वर्ना कोई भी समझ सकता है कि ट्रस्ट द्वारा मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में 12080 वर्गमीटर (1.20 हेक्टेयर) जमीन की खरीद मात्र 18.5 करोड़ रूपए में कर लेना फायदे का ही सौदा कहा जाएगा,जबकि इस जमीन का सर्किल रेट ही 24 करोड़ है। इससे अधिक कीमत वाले मकान में तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी जैसे तमाम नेताओं का आवास बना होगा। प्रियंका आरोप लगाने से पहले अपने पति राबर्ट वाड्रा से भी पूछ सकती थीं कि 1.20 हेक्टेयर जमीन 18.5 करोड़ में खरीदने में कहीं भ्रष्टाचार हो ही नहीं सकता है। ट्रस्ट ने जमीन के लिए जो कीमत चुकाई है वह बाजार रेट से भी काफी कम है, लेकिन यह बात बीजेपी और प्रभु श्रीराम विरोधी दल और नेता कैसे मान सकते हैं। इसी लिए जमीन खरीद को घोटाला दिखाने के लिए जनता को कागजों में उलझाने की कोशिश हो रही है।
बहरहाल,यह कहना गलत नहीं होगा कि विपक्षी दलों और कांगे्रस के टूलकिट गैंग ने हिन्दुत्व को बदनाम करने के लिए चलाए गये एक नये एजेंडे के तहत ट्रस्ट पर जनता का पैसा लूटने का और हिंदुओं की भावनाओं से विश्वासघात करने का आरोप लगाया है। कांगे्रस की महासचिव प्रियंका वाड्रा जिनके पति राबर्ट वाड्रा पर जमीन घोटाले का मुकदमा चल रहा है, उसके बारे में प्रियंका भले कुछ नहीं बोलती हों लेकिन बात जब मंदिर निर्माण जमीन खरीद मेें कथित धाधली की आई तो प्रियंका बिना सच्चाई जाने हुए शोर मचाने लगीं कि श्रद्धालुओं के दान का दुरुपयोग पाप है और उनकी आस्था का अपमान है। उन्होंने ट्वीट किया कि करोड़ों लोगों ने आस्था और भक्ति के चलते भगवान के चरणों में चढ़ावा चढ़ाया। उस चंदे का दुरुपयोग अधर्म है, पाप है, उनकी आस्था का अपमान है। सपा के पूर्व मंत्री तेजनारायण पांडेय और उसके पश्चात आम आदमी पार्टी के सांसद और यूपी प्रभारी संजय सिंह के बाद दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री व राज्य सभा सांसद मनीष सिसोदिया ने तो दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस तक कर कर डाली और कहा कि ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर के लिए खरीदी गई 12080 वर्ग मीटर जमीन में भाजपा नेताओं ने करोड़ों का घोटाला किया है। मजदूरों, किसानों व व्यापारियों ने अपनी बचत में से मंदिर निर्माण के लिए चंदा दिया, लेकिन दुःख इस बात का है कि जमीन खरीद में घोटाला कर इनकी आस्था के साथ विश्वासघात किया गया है। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला जो विधायक तक का चुनाव नहीं जीत पाते हैं वह सीधे प्रधानमंत्री से इस मामले में जवाब मांग रहे हैं। वहीं, ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि आरोप लगाने वाले सियासी लोग हैं। सियासत से प्रेरित होकर आरोप लगा रहे हैं। यह जमीन बाजार दर से कम कीमत में खरीदी गई है। चंपत राय ने प्रेस नोट जारी कर कहा कि 1.20 हेक्टेयर की इस भूमि को खरीदने में पूरी पारदर्शिता रखी गई।
खैर, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर पहली बार जमीन खरीदने को आरोप लगे जरूर हैं लेकिन आरोप लगाने वालों ने आरोप लगाते समय एक बड़ी सच्चाई जान बूझकर छिपा ली। ऑनलाइन रजिस्ट्री दस्तावेज अपलोड किए जाने वाले 18 मार्च 2021 के एक ही पेज पर तीन एंट्री दर्ज है। सबसे पहले कुसुम पाठक व हरीश कुमार पाठक आदि के विक्रय विलेख अनुबंध के निरस्तीकरण की जानकारी व दस्तावेज अपलोड है। वर्ष 2017 में इसी जमीन का अनुबंध बसपा नेता जितेंद्र कुमार सिंह बबलू और उनके पिता इच्छाराम के पक्ष में 2.16 करोड़ रुपये में किया गया था। लेकिन ये तय वक्त में जमीन नहीं ले पाए तो पैसा वापस कर दिया गया। इसी जमीन का एग्रीमेंट वर्ष 2019 में सुल्तान अंसारी और रविमोहन तिवारी ने अपने पक्ष में कराया। बाद में इन्हीं लोगों ने ट्रस्ट को जमीन देने के लिए एग्रीमेंट किया। जमीन की कीमत का 17 करोड़ रुपये इनके खाते में ट्रांसफर किया गया है। शेष डेढ़ करोड़ रुपये दिया जाना अभी बाकी है।
एक तरफ जमीन खरीद में घोटाले का आरोप लगाने वाले खड़े हैं तो दूसरी ओर आचार्य सत्येंद्र दास,मुख्य पुजारी, श्रीराम जन्मभूमि ने उक्त विवाद को शर्मनाक बताते हुए कांग्रेस, आम आदमी पार्टी व सपा नेताओं के आरोप को सियासी लाभ लेने वाला बताया है। इसका सच्चाई से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। ट्रस्ट ने जो जमीन ली है, विरोधी उसका बाजार मूल्य दिखवा सकते हैं, इसके बाद उनके मुंह पर खुद ताला लग जाएगा। ट्रस्ट इमानदारी से अयोध्या के सांस्कृतिक विकास में लगा है। इसी तरह से अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा का भी कहना है कि ट्रस्ट के प्लान का स्वागत होना चाहिए। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बाग बिजैसी मोहल्ले में जो जमीन खरीदी है, वह काफी महत्वपूर्ण स्थान पर है। ठीक इसी के सामने अयोध्या रेलवे स्टेशन का मुख्य द्वार बनना है। नए प्लान में यह इलाका सबसे बड़ा व्यावसायिक हब बनेगा। भक्तों की सुविधाओं के लिए ट्रस्ट के प्लान का स्वागत होना चाहिए।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा खरीदी गई जमीन में घोटाले के आरोप पर महापौर ऋषिकेश उपाध्याय ने सफाई दी है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि राममंदिर ट्रस्ट ने बयान जारी कर साफ कर दिया है कि वह भूमि वर्षों से अनुबंध पर थी, उसी के अनुसार उसे खरीदा गया है। मैं महापौर के नाते सभी विषयों में गवाह हूं, जो पैसा ट्रांसफर हुआ है उसका गवाह रहा हूं। दो करोड़ रुपये की जमीन 10 मिनट में 18.5 करोड़ पुराना है। इसे कुछ मिनट का बताया जा रहा है। जो लोग मुद्दा उठा रहे हैं, वे राजनीति से जुड़े हैं। जिन्हें भगवान राम से दिक्कत है, वही लोग ये मुद्दा उठा रहे हैं। अयोध्या में जमीन का मार्केट रेट क्या है, आसानी से पता किया जा सकता है।
इस मामले में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को जमीन का एग्रीमेंट करने वाले सुल्तान अंसारी का पक्ष जानना काफी जरूरी है। अंसारी साफ कह रहे हैं कि सपा के पूर्व मंत्री तेजनारायण पांडेय व आप नेता संजय सिंह का आरोप सरासर गलत है। जिस जमीन को लेकर सवाल उठाया गया है, उसका वर्ष 2011 से एग्रीमेंट चलता आ रहा है। तब से अब तक चार बार एग्रीमेंट का रिन्यूवल हुआ है। श्री रामजन्मभूमि में हमारी आस्था है, राम के काम के लिए जमीन दी है। जमीन का सर्किल रेट देखें तो यह जमीन वर्तमान में 24 करोड़ रुपये की है। सारे आरोप गलत हैं, मेरे पास साक्ष्य हैं।
इस तरह आगे बढ़ी जमीन खरीद की लिखा-पढ़ी-
20 नवंबर 2017 को महफूज आलम, जावेद आलम, नूर आलम व फिरोज पुत्रगण मो. आलम निवासी बरवारी टोला थाना रामजन्मभूमि अयोध्या ने गाटा संख्या 242, 242/1, 242/2, 243,244,246 रकबा 2.334 हेक्टेयर जमीन कुसुम पाठक पत्नी हरीश पाठक उर्फ स्वामी हरिदास व हरीश पाठक उर्फ स्वामी हरिदास पुत्र स्व हौसिला प्रसाद पाठक निवासी पठकापुर थाना छावनी बस्ती को रजिस्ट्री की।
एक नवंबर 2017 को कुसुम पाठक व हरीश पाठक उर्फ स्वामी हरिदास ने इस गाटा की कुल 2.334 हेक्टेयर भूमि का बिना कब्जा एंग्रीमेंट इच्छाराम सिंह व उनके पुत्र बसपा नेता जितेंद्र कुमार सिंह उर्फ बबलू व राकेश कुमार के नाम कर दिया।
07 दिसंबर 2017 को उपरोक्त विक्रय विलय अनुबंध का निरस्तीकरण हुआ।
वर्ष 2019 में इसे भूमि का नया एंग्रीमेंट सुल्तान अंसारी व रविमोहन तिवारी ने हरीश पाठक उर्फ स्वामी हरिदास व कुसुम पाठक से अपने नाम कराया ।
18 मार्च 2021 को कुसुम पाठक व हरीश पाठक के साथ सुल्तान अंसारी व रवि मोहन तिवारी ने गाटा संख्या 243,244, 246 रकबा 12080 वर्ग मीटर की रजिस्टी करा ली।
18 मार्च 2021 को सुलतान अंसारी व रवि मोहन तिवारी ने श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को जरिए चंपत राय पुत्र स्व रामेश्वर प्रसाद निवासी राम कचेहरी रामकोट जिला अयोध्या के नाम कब्जा सहित विक्रय अनुबंध 18.5 करोड़ रूपए में करा दिया। अभी ट्रस्ट को अंसारी और तिवारी को डेढ़ करोड़ रूपए और देना है।
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