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हिंदू राष्ट्र नहीं होता तो अखिलेश यादव और ममता बनर्जी नमाज पढ़ रहे होते उमा भारती | Uma Bharti said- no Hindu nation then Akhilesh YADAV-mamata banerjee offering namaz

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हिंदू राष्ट्र नहीं होता तो अखिलेश यादव और ममता बनर्जी नमाज पढ़ रहे होते- उमा भारती

Uma Bharti News: उमा भारती ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का भाषण कम्युनिस्ट विचारधारा को मानने वाले लिखते हैं. राहुल गांधी कम्युनिस्टों की नकल करना छोड़ दें.

बीजेपी नेता उमा भारती.

(फाइल फोटो)

Image Credit source: PTI

डिंडौरी: मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Former Chief Minister Uma Bharti) ने एक बार फिर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (Akhilesh Yadav and Mamta Banerjee) पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है. अगर ये देश हिंदू राष्ट्र नहीं होता तो ना अखिलेश यादव बचते और ना ममता बनर्जी बचतीं. ये लोग नमाज पढ़ रहे होते. उमा भारती ने उक्त बातें डिंडौरी में वीरांगना रानी अवंति बाई के बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कही.

उमा भारती ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का भाषण कम्युनिस्ट विचारधारा को मानने वाले लिखते हैं. राहुल गांधी कम्युनिस्टों की नकल करना छोड़ दें. उन्हें आरएसएस की शाखा आना चाहिए. वहीं, मिशनरी स्कूल में छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न मामले को उमा भारती ने दुर्भाग्यजनक बताया. उन्होंने कहा कि धर्मान्तरण कराने वालों को देश के बाहर भेज देना चाहिए.

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इससे पहले भी उमा भारती राहुल गांधी पर निशाना साध चुकी हैं. हाल ही में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर उमा भारती ने कहा था कि अगर राहुल को देश जोड़ना है तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) जोड़िए. ये यात्रा वहां तक लेकर जाइए. डिंडौरी पहुंचीं उमा भारती ने जिले में ओलावृष्टि से बर्बाद हुए फसलों पर चिंता जताया.

सरकार किसानों की मदद को लेकर तत्पर

उन्होंने कहा कि पीड़ित किसानों को राज्य सरकार हरसंभव मदद करेगी. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार किसानों के हितों को ध्यान में रखकर विकास योजनाएं बना रही है. केंद्र सरकार भी कृषि के विकास को लेकर प्रतिबद्ध है. रानी अवंती बाई के बारे में बात करें तो उन्होंने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) में अंग्रेजों का मुकाबला किया था. हालांकि, बाद में वह युद्ध हार गईं और 20 मार्च 1858 को तलवार से खुद को मार लिया. इसके बाद से 20 मार्च को बलिदान दिवस के रूप में यहां के लोग मनाते हैं. यहां हर साल रानी अवंती बाई की याद में कार्यक्रम का आयोजन होता है. डिंडौरी के लोग आज भी रानी अवंती बाई की वीरता के किस्से सुनाते हैं.

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