मध्य भारत क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आज वोटिंग की जाएगी. इस बीच राजनीतिक पार्टियां राजधानी भोपाल समेत मध्य भारत की 36 सीटों पर नजर गड़ाए बैठी हुई हैं. यहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का बोलवाला रहा है. हालांकि धीरे-धीरे कांग्रेस अपने प्रदर्शन में सुधार कर रही है. बीजेपी के दिग्गज नेता व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसी क्षेत्र से चुनकर आते हैं. वह बुधनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते हैं. इस बार कांग्रेस ने यहां से स्थानीय उम्मीदवार विक्रम मस्ताल को चुनावी अखाड़े में उतारा है. पिछली बार पार्टी ने अरुण यादव को टिकट दिया था. विपक्षी पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है.
वहीं, इस बार बुधनी विधानसभा सीट से लड़ाई और दिलचस्प है क्योंकि मिर्ची बाबा भी चुनाव लड़ रहे हैं. मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. हालांकि कहा जा रहा है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहे हैं, लेकिन त्रिकोणीय मुकाबले की वजह से सीट चर्चा का केंद्र बनी हुई है. मध्य भारत क्षेत्र में राजगढ़, विदिशा, भोपाल, सीहोर, रायसेन, नर्मदापुरम, बैतूल और हरदा सहित आठ जिले शामिल हैं.
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बीजेपी अपनी जीत को रखना चाहेगी बरकरार
2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 36 में से 29 सीटें हासिल कीं, जबकि कांग्रेस ने 6 सीटें जीतीं और बसपा ने 1 सीट अपने नाम की. हालांकि, 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सीट हिस्सेदारी 2013 के विधानसभा चुनाव की 29 सीटों की तुलना में घटकर 24 सीटें हो गई, जबकि कांग्रेस की सीटों की हिस्सेदारी 6 सीटों से बढ़कर 12 हो गई.
बीजेपी इस क्षेत्र में अपनी दबदबे को बरकरार रखना चाहती है. इस क्षेत्र के अधिकांश जिले राजधानी भोपाल से सटे हुए हैं. प्रभुराम चौधरी और विश्वास कैलाश सारंग जैसे प्रमुख मंत्री भी इसी क्षेत्र से आते हैं. पिछले कुछ चुनावों को देखा जाए तो यहां सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार कई सीटों पर कांग्रेस की लड़ाई कड़ी मानी जा रही है.
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मध्य भारत में नर्मदा बड़ा मुद्दा
मुद्दों की बात करें तो मध्य भारत क्षेत्र में सबसे बड़ा मुद्दा नर्मदा का है क्योंकि यहां नर्मदा की साफ सफाई, खनन, नर्मदा का पर्यटन लोगों के लिए बड़ा मसला है. इसलिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने नर्मदा को लेकर बड़ी घोषणाएं की हैं. दोनों पार्टियां जानती हैं कि सत्ता की कुर्सी पर पहुंचने के लिए नर्मदा को दरकिनार नहीं कर सकते हैं. बीजेपी का कहना है कि नर्मदा, शिप्रा व ताप्ती नदियों का नवीनीकरण किया जाएगा, जबकि कांग्रेस का कहना है कि नर्मदा परिक्रमा परिषद का गठन करेंगे और नर्मदा परिक्रमा यात्रा शुरू करेंगे.