नई दिल्ली एजेंसी : कोरोना वायरस महामारी के बीच खतरनाक और जानलेवा बीमारी ब्लैक फंगस का भी खतरा बढ़ने लगा है। कई राज्यों में इसके हजारों मामले सामने आ चुके हैं और कई लोगों की मौत भी हो गई है। राजस्थान सरकार ने इसे महामारी घोषित किया है। अब दिल्ली सरकार ने भी इसके उपचार के लिए अलग विशेष केंद्र बनाने का फैसला किया है। चलिए जानते हैं राज्य सरकारें इससे कैसे निपट रही हैं और यह कितनी खतरनाक बीमारी क्या है और इसका क्या कारण है।
दिल्ली में ब्लैक फंगस के के इलाज के लिए विशेष केंद्र
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के तीन अस्पतालों में ब्लैक फंगस या म्यूकरमाइकोसिस के इलाज के लिए विशेष केंद्र बनाये जाएंगे।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘ब्लैक फंगस बीमारी की रोकथाम और इलाज के लिए बैठक में कुछ अहम निर्णय लिए। ब्लैक फंगस के इलाज के लिए लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल और राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में केंद्र बनाये जाएंगे।’

तेलंगाना महामारी कानून के तहत अधिसूच्य रोग घोषित
तेलंगाना सरकार ने मुख्यत: कोविड-19 से उबरे मरीजों को निशाना बना रहे ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) को महामारी रोग कानून 1897 के तहत एक अधिसूच्य रोग घोषित किया है।
अधिसूचना में कहा गया कि सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य केंद्र, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तथा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा ब्लैक फंगस की जांच, निदान तथा प्रबंधन के लिए तय दिशा निर्देशों का पालन करें।
राज्य में ब्लैक फंगस के करीब 80 मामले हैं जिनका सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। सरकार ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए गांधी जनरल हॉस्पिटल और राज्य द्वारा संचालित ईएनटी अस्पताल को नोडल केंद्र बनाया है।
राजस्थान में ब्लैक फंगस महामारी घोषित
राजस्थान सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों में सामने आ रहे है म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) रोग को महामारी घोषित कर दिया। राज्य के चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग ने इस बारे में अधिसूचना जारी की।
राजस्थान महामारी अधिनियम 2020 की धारा 3 की सहपठित धारा 4 के तहत म्यूकर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) को संपूर्ण राज्य में महामारी व अधिसूचनीय रोग अधिसूचित किया गया है।
राजस्थान में करीब 100 मरीज ब्लैक फंगस से प्रभावित हैं। इनके उपचार के लिए जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में अलग से वार्ड बनाया गया है, जहां पूरे प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज किया जा रहा है।
डॉक्टरों ने स्टेरॉयड के ज्यादा उपयोग को ठहराया जिम्मेदार
दिल्ली में चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा है कि ब्लैक फंगस की वजह बिना डॉक्टर के परामर्श के घर में स्टेरॉयड का ‘अतार्किक’ सेवन संभव है। यह कवकीय संक्रमण मस्तिष्क, फेफड़े और ‘साइनस’ को प्रभावित करता है तथा मधुमेह के रोगियों एवं कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों के लिए जानलेवा हो सकता है।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के नाक-कान-गला (ईएनटी) रोग चिकित्सक डॉ. सुरेश सिंह नरूका ने कहा कि मधुमेह, वृक्क रोग, यकृत रोग, वृद्धावस्था आदि से कम प्रतिरक्षा वाले लोगों में म्यूकोरमाइकोसिस अधिक देखने को मिलता है।
उन्होंने कहा , ‘यदि ऐसे रोगियों को स्टेरॉयड दिया जाता है तो उनकी प्रतिरक्षा और घट जाती है तथा कवक को पनपने का मौका मिल जाता है।’’
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महज एक फीसद संक्रमितों की जान लेता है जबकि ब्लैक फंगस से मृत्युदर 75 फीसद है। उन्होंने कहा कि म्यूरकोरमाइकोसिस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के भी गंभीर दुष्प्रभाव हैं और इनकी वजह से किडनी से जुड़ी समस्याएं, स्नायुतंत्र से जुड़े रोग और ह्रदयाघात हो सकता है।
सर गंगाराम अस्पताल के नाक-कान-गला रोग विभाग के प्रमुख डॉ. अजय स्वरूप ने म्यूकोरमाइकोसिस ‘भयावह’ करार देते हुए कहा, ‘ हमारे पास 35 से अधिक मामले हैं जिनमें 10 कोविड संक्रमित हैं। बाकी को कोविड-19 संक्रमण से उबरने के बाद कवकीय संक्रमण हुआ।’’
उन्होंने कहा कि यह गंभीर बीमारी है और उसके लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है, यदि प्रारंभ में पता चल जाए को ऑपरेशन की जरुरत नहीं पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि कवक संक्रमण के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा एम्फोटेरिसिन बी लिपोसोमल अधिकतर दवा दुकानों पर अनउपलब्ध है।
मैक्स अस्पताल के ईएनटी प्रमुख डॉ. सुमित मृग ने कहा कि पिछले तीन चार दिनों में उनके यहां इसके 15-20 मामले आये हैं। उन्होंने कहा, ‘हमने 14-15 रोगियों की सर्जरी की और चार से पांच रोगियों की सर्जरी मंगलवार को प्रस्तावित थी। इस सबके लिए जिम्मेदार कारक स्टेरॉयड का बेतहाशा इस्तेमाल है, बहुतायत में लोगों ने बिना डॉक्टर के परामर्श के इसे लिया है।