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अपनी जमीन तक पहुंचने की जद्दोजहद, जान जोखिम में डालकर पार कर रहे नदी | MP Shajapur villagers have to cross river reach farming land stwn

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अपनी जमीन तक पहुंचने की जद्दोजहद, जान जोखिम में डालकर पार कर रहे नदी

गांव के लोग बोट पर जाते हुए

मध्यप्रदेश के शाजापुर में एक ऐसा गांव है जहां के लोगों को अपने ही खेतों पर जाने के लिए नदी पार करना पड़ता है. इस नदी पर न तो कोई पुल बना है न ही कोई और व्यवस्था है. इसलिए ग्रामीण मजबूरी में जुगाड़ की नाव पर बैठकर सवारी करने को मजबूर हैं. 300 फीट परिवार के 1500 लोगों को इस नदी को रोजाना पार करके अपनी जमीनों तक जाना पड़ता है. नेताओं की अनदेखी से गुस्साए गांववाले अब चुनाव को बहिष्कार करने की बातें कर रहे हैं.

दरअसल बोलाई गांव के किनारे से गुजरी कालीसिंध नदी पर पुलिया नहीं बनी है. गांव दास्ताखेडी के किसानों के लिए यह परेशानी का सबब बन हुआ है. गांव के किसानों की आधी से भी अधिक जमीन नदी के उस पार है और गांव इस पार है. अपनी जमीन तक पहुंचने के लिए गांव के लोगों को 8 सालों से हर दिन 20 मिनिट तक 30 फीट गहरे पानी पर मौत की सवारी कर 5 सौ फीट की दूरी तय करनी पड़ती है.

बेबस ग्रामीणों के पास अपनी जमीन तक पहुंचने के लिए जुगाड़ की नाव है. इस ग्रामीणों ने ही ट्यूब-रस्सी के सहारे बनाई है. नेताओं के झूठे आश्वासन से तंग आकर इस बार यहां के ग्रामीणों ने अपने ईष्ट हनुमान जी महाराज की शपथ लेकर चुनाव का बहिष्कार करने का संकल्प ले लिया है. इस तरह नदी पार करने से लोगों की जान पर तो खतरा है लेकिन परिवार के भरण-पोषण के लिए जमीन पर पहुंचना भी तो जरूरी है. कुछ ऐसी ही मजबूरी के चलते हर दिन जान जोखिम में डालकर अपने गांव से नदी पार कर अपनी जमीन तक पहुंचने का यह दौर चलता जा रहा है.

दरअसल गांव दास्ता खेड़ी व वजीरपुर खेड़ा का लगभग 3 हजार बीघा का रकबा है. इसका आधे से ज्यादा हिस्सा कालीसिंध नदी के उस पार है. इधर गांव से दूसरी तरफ की जमीन की दूरी महज 1 किलोमीटर ही है. यहां पहुंचने के लिए हर दिन की जाने वाली जद्दोजहद मानों इन दोनों गांवों के ग्रामीण किसानों की दिनचर्या ही हो गई है. जान जोखिम में डाल अपनी जमीन तक पहुंचना किसानों की मजबूरी है. यहां के ग्रामीण अगर दूसरे रास्ते से अपनी जमीन तक जाते हैं तो उन्हें सिर्फ 1 किलोमीटर की दूरी की बजाय 40 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है. यह गांव लगभग 8 साल से वजीरपुर खेड़ा के पास नदी पर डेम बनने के बाद से इस समस्या से जूझ रहा है.

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