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मुलायम सिंह के बयान के बाद मचा सियासी हड़कंप , चुनाव पूर्व गठबंधन और कॉमन एजेंडे की राह पर विपक्ष

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नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में बुधवार का दिन राजनीतिक हलचलों का केंद्र रहा। बजट सत्र के अंतिम दिन लोकसभा में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा पीएम देखने की कामना ने विपक्षी दलों में अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दिया।

 

जबकि जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी के धरने में शामिल दलों ने भाजपा एवं पीएम मोदी के खिलाफ एकजुटता का प्रदर्शन किया। इसके अलावा विपक्षी जमावड़े का एक नजारा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मुखिया शरद पवार के आवास पर देखने को मिला जहां विपक्षी पार्टियों ने लोकसभा चुनावों से पहले गठबंधन के विचार और न्यूनतम साझा कार्यक्रम के विचार पर चर्चा की।

 

समझा जाता है कि लोकसभा में पीएम मोदी को समर्थन देकर मुलायम सिंह ने विपक्ष की बेचैनी बढ़ा दी। इसका असर कांग्रेस सहित विपक्षी दलों की कई बैठकों में नजर आया। आप के धरने को समर्थन देने दिल्ली पहुंचीं तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं तेदेपा अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के आवास पर मिलने पहुंचे। इसके बाद पवार की ओर से आयोजित रात्रिभोज में उनके आवास पर विपक्षी दलों की एक और बैठक हुई जिसमें राहुल गांधी, ममता बनर्जी, नायडू, अरविंद केजरीवाल और फारूक अब्दुल्ला शामिल हुए।

 

  1. पीएम मोदी पर मुलायम सिंह के बयान के बाद विपक्षी दलों की बढ़ी बेचैनी
  2. राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के आवास पर रात्रिभोज में जुटा विपक्ष
  3. बैठक में चुनाव पूर्व गठबंधन बनाने और कॉमन एजेंडा पेश करने पर हुई चर्चा
  4. विपक्ष की इस बैठक में शामिल नहीं हुए सपा और लेफ्ट
  5. ममता बनर्जी बोलीं-हम मिलकर काम करेंगे और हमारा कॉमन एजेंडा होगा

 

इस बैठक में विपक्षी दलों ने लोकसभा चुनावों से पहले राष्ट्रीय स्तर पर एक गठबंधन बनाने और न्यूनतम साझा कार्यक्रम पेश करने के विचार पर चर्चा की। इस बैठक के बाद ममता बनर्जी ने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘हमें एक दूसरे का सहयोग करने की जरूरत है। हम मिलकर काम करेंगे। हमारा नारा है-सबको एक रखो, देश को बचाओ। हमारा एक न्यूनतम साझा एजेंडा होगा और हम चुनाव पूर्व गठबंधन करेंगे।’

 

 

पीएम मोदी के खिलाफ विपक्ष की लामबंदी पर सवाल भी उठने लगे हैं। ‘मोदी हटाओ, देश बचाओ’ के नारे पर सभी विपक्षी दल तो एकजुटता की बात तो कर रहे हैं लेकिन उनकी इस एकजुटता इस बात से समझी जा सकती है कि विपक्ष की इस बैठक से समाजवादी पार्टी और लेफ्ट नदारद रहे। इससे जाहिर है कि मोदी विरोधी नारे पर अपना तालमेल एवं लामबंदी दिखाने वाले विपक्ष में राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन बनाने को लेकर अपनी चुनौतियां एवं मजबूरियां हैं।

 

विपक्ष के एक बड़े नेता का कहना है, ‘राज्य स्तर पर हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं और ऐसा हमारी स्थानीय राजनीतिक वजहों से हो सकता है। राष्ट्रीय स्थितियां एवं लोकतांत्रिक चुनौतियों की मांग राष्ट्रीय स्तर पर एक गठबंधन बनाने की है।’ विपक्ष के इस नेता ने राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन के प्रारूप को लेकर क्षेत्रीय दलों में असहमति होने की बातों को खारिज किया।

 

 

 

भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन बनाने के विचार पर राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल साथ तो नजर आए लेकिन दिल्ली में क्या वे एक साथ नजर आएंगे। इसी तरह ममता बनर्जी और राहुल भी साथ दिखे लेकिन कांग्रेस पश्चिम बंगाल में आम चुनावों से पहले लेफ्ट के साथ गठबंधन करने का विचार कर रही है। इससे यही जाहिर होता है कि विपक्ष खुद अपने अंतर्विरोधों से नहीं निकल पा रहा है।