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मोदी सरकार की सेना को मिली खुली छूट और भारतीय सेना के पोखरण अभ्यास से थर्राया पाक, सीमा पर बढ़ी पाकिस्तान सैनिकों की तैनाती

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नई दिल्ली। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति बनती जा रही है। भारतीय सेना के पोखरण अभ्याास और सेना के  सर्च आपरेशन और मोदी सरकार से सैना को मिली खुली छूट से थर-थर कांपा पाकिस्तान। उसने  मामले की गंभीरता को समझते हुए उसकी  सीमा पर आतंकवादी लांच पेड लटा लिए है।

 

भारतीय सेना के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि पाकिस्तान सेना ने एलओसी पर हलचल बढ़ा दी है।

 

जानकारी के मुताबिक, भारत के सख्त रवैये को देखते हुए पाकिस्तान पहले ही अपनी सेना को अलर्ट पर रख चुका है। अब एलओसी पर तैनात सैनिकों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। इस बारे में भारतीय सेना रक्षा मंत्रालय को लगातार जानकारी दे रही है।

दूसरी ओर, भारतीय सेना भी हर स्थिति से निपटने को तैयार है। 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले के बाद जवानों में गुस्सा है। सरकार ने भी जवानों को आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पूरी छूट दे दी है।

जवानों का खून खौल रहा

साथियों के जाने का दुख बहुत है, लेकिन हम रोकर शांत नहीं बैठ सकते। हमें सिर्फ मौका चाहिए। मौका मिलते ही हम ऐसा माहौल बना देंगे कि सब भूल जाएंगे कि कश्मीर में कभी आतंकवाद था। यह शब्द हैं गोरीपोरा में गुरुवार को अपने शहीद साथियों को एंबुलेंस में रखने वाले सीआरपीएफ कर्मी राजेंद्र सिह के।

उन्होंने कहा कि मैं उस मंजर को नहीं भूल सकता। और तब तक नहीं जब तक बदला ने लें। आतंकियों ने सोचा होगा कि हम डर जाएंगे, लेकिन यह सीआरपीएफ है। मतलब करेजियस, रोरिग पावॅरफुल फाइटर।

 

पुलवामा विस्फोट की घटना के दो दिन बाद श्रीनगर स्थित 54वीं वाहिनी का एक जवान जो उसी काफिले में एक अन्य बस में सवार था, जिस काफिले पर हमला हुआ था, ने कहा कि मैं छुट्टी काटकर वापस आ रहा था। काफिले में शामिल सभी जवान अवकाश से ही लौट रहे थे। जब हम गौरीपोरा के पास पहुंचे तो अचानक हमारे वाहनों पर पथराव होने लगा। हमारे लिए यह सामान्य बात थी, क्योंकि हाइवे के पास बस्तियों में रहने वाले शरारती तत्व अकसर शाम के समय हमारे वाहनों पर पथराव करते हैं। पथराव के कुछ ही देर में दुकानों के शटर भी गिरने लगे। वाहन तेजी से निकल रहे थे। जब हम गौरीपोरा में हाइवे पर दुकानों को पार कर रहे थे कि अचानक एक जोरदार धमाका हुआ।

 

महेश कुमार नामक एक सीआरपीएफ जवान ने कहा कि हमारे सामने ही काफिले की एक बस धू-धू कर जल रही थी। हमारे साथियों के शव बिखरे पड़े थे। जिस गाड़ी में मैं था, वह हमले का शिकार बनी बस से करीब 70 मीटर पीछे थे, इसलिए बच गया। विस्फोट के तुरंत बाद बस रुकी। हमने पोजीशन ली। अपने शहीद व जख्मी साथियों को अस्पताल पहुंचाना शुरू किया। हम सभी लोग सुबह एक साथ जम्मू से निकले थे।

 

रास्ते में एक साथ बैठकर हमने लंगर खाया था। अपने चेहरे पर गुस्से और बदले के भाव को छिपाते हुए महेश कहते हैं हम इन हमलों से डरने वाले नहीं हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या उसने आतंकी की गाड़ी को देखा था तो उसने कहा कि मुझे इसका ध्यान नहीं है। हम सभी थके हुए थे। मुझे लगता है कि वह हमारी गाड़ी के आगे ही किसी सर्विस रोड से काफिले में घुसी होगी।