हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित होता है। प्रदोष व्रत पर विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है। मार्च माह में 2 प्रदोष व्रत पड़ेंगे। एक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष में और एक चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं मार्च माह में कब- कब पड़ेंगे प्रदोष व्रत…
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत-
- मार्च 15, 2022, मंगलवार- मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।
मुहूर्त-
- फाल्गुन, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ – 01:12 पी एम, मार्च 15
- फाल्गुन, शुक्ल त्रयोदशी समाप्त – 01:39 पी एम, मार्च 16
- प्रदोष काल- 06:29 पी एम से 08:53 पी एम
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत-
- मार्च 29, 2022, मंगलवार- मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है।
मुहूर्त-
- चैत्र, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ – 02:38 पी एम, मार्च 29
- चैत्र, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त – 01:19 पी एम, मार्च 30
- प्रदोष काल – 06:37 पी एम से 08:57 पी एम
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प्रदोष व्रत पूजा- विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- अगर संभव है तो व्रत करें।
- भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
- इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
- भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान शिव की आरती करें।
- इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।