Home Dharm Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि 2022 कब से हो रहे प्रारंभ? जानें...

Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि 2022 कब से हो रहे प्रारंभ? जानें माता रानी की सवारी और इसका महत्व

54
0

हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि के समय पूरे नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का त्योहार सालभर में चार बार मनाया जाता है। लेकिन इनमें सबसे प्रमुख चैत्र व शारदीय नवरात्रि है। इस बार चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से प्रारंभ हो रहे हैं। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि के दिन मां दुर्गा की सवारी का महत्व होता है। हर नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहन से आगमन करती हैं।

इस साल माता रानी की सवारी-

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं और विदाई के वक्त माता रानी का वाहन अलग होता है। इस चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी। अगर नवरात्रि की शुरुआत रविवार या सोमवार से होती है तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं।

मार्च में इन 3 बड़े ग्रहों की बदलेगी स्थिति, इन 5 राशि वालों को मिलेगा जबरदस्त लाभ

नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार या शनिवार से होती है तो माता रानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार या शुक्रवार से होती है तो मां डोली पर सवार होकर आती हैं। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत शनिवार से हो रही है, इसलिए मां का वाहन घोड़ा है।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाएगी। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 02 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 10 मिनट से 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। कुल अवधि 02 घंटे 18 मिनट की है।

12 महीने बाद देवगुरु बृहस्पति करने वाले हैं राशि परिवर्तन, इन 3 राशि वालों के लिए बनेगा राजयोग

घटस्थापना कैसे करें-

1. नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं।

2. स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद कलश को पूजा घर में रखें।

3. मिट्टी के घड़े के गले में पवित्र धागा बांधे

4. अब कलश को मिट्टी और अनाज के बीज की एक परत से भरें।

5. कलश में पवित्र जल भरकर उसमें सुपारी, गंध, अक्षत, दूर्वा घास और सिक्के डालें।

6. कलश के मुख पर एक नारियल रखें।

7. कलश को आम के पत्तों से सजाएं।

8. मंत्रों का जाप करें।

9. कलश को फूल, फल, धूप और दीया अर्पित करें।

10. देवी महात्म्यम का पाठ करें।